Sunday, December 18, 2011

Khwaishein... (A wish...)


यह सारी करामात कम्बक्थ ख्वाईशों की है...

जब भी मन बहला के उन्हें सुला देता हूँ....

यह कम्बक्थ दिल की पुकार से....

फिर जाग जाती है. 



कुछ लोग उन्हें सपनों का नाम देकर नकार देते है..

कुछ और हमें शेख चिल्ली पुकार लेते है... 

इनकी अटखेलियों का मिजाज़ खूब है... 

हाथ आते आते कमबख्त... फिर आगे भाग जातीं है... 



इनके जलवे देखें है कहियों ने...

इनका सजदा करते है सभी... 

कहतें है ताकत बहुत है इनमे... 

मौत के मूह से यह कभी... ज़िन्दगी के दो पल मांग लाती है..  


यह सारी करामात कम्बक्थ ख्वाईशों की है......






(Image Courtesy: Google Images)



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Write... Pray!

I want to write. Mostly because I want to be read. Truthfully, because I want to be understood. I love writing because it leaves no scope fo...